बीसीसीएल के बारे में

हमारा परिचय

भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है, जो कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) की एक अनुषंगी कंपनी है। भारत की औद्योगिक एवं ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में कंपनी का योगदान महत्वपूर्ण है। उच्च श्रेणी के कोकिंग कोल के खनन और आपूर्ति के उद्देश्य से स्थापित, बीसीसीएल देश के इस्पात क्षेत्र को ईंधन प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो उत्पादन और विनिर्माण प्रक्रियाओं के लिए हमारे कोयले पर बहुत निर्भर करता है।
1970 के दशक की शुरुआत में, भारत को अपने कोयला उद्योग में महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इस क्षेत्र पर छोटी निजी कंपनियों का प्रभुत्व था, जिसके कारण अनियमित खनन प्रथाएं, श्रम संबंधी समस्याएं और पर्यावरण क्षरण की समस्याएं । इसके अतिरिक्त, कोयला खदान को अलग-अलग स्वामित्व द्वारा संचालित किये जाने के कारण उत्पादन, संसाधन प्रबंधन एवं सुरक्षा संबंधी अक्षमता पैदा हुई, और निजी कंपनियों पर राष्ट्र की निर्भरता ने ऊर्जा सुरक्षा को खतरे में डाल दिया।
इन चुनौतियों को देखते हुए, भारत सरकार ने वर्ष 1971 एवं 1973 में एक साहसिक कदम उठाया और कोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण के लिए कानून बनाया। कोकिंग कोयला खान (आपात प्रावधान) अधिनियम- 1971, तत्पश्चात कोयला खान (राष्ट्रीयकरण) अधिनियम, 1973 के माध्यम से सभी कोकिंग और गैर-कोकिंग कोयला खानों को सरकारी नियंत्रण में ले लिया गया। इस ऐतिहासिक निर्णय के परिणामस्वरूप कोल इंडिया लिमिटेड और भारत कोकिंग कोल लिमिटेड सहित इसकी अनुषंगी कंपनियों का गठन किया गया। बीसीसीएल को झरिया तथा रानीगंज कोयला क्षेत्रों के प्रबंधन का कार्य सौंपा गया था। इस क्षेत्र में इस्पात उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण उच्च श्रेणी के कोकिंग कोयले की प्रचुरता है।
बीसीसीएल की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
  • स्थापना: 01 जनवरी, 1972
  • मिनीरत्नदर्जा: 08 अक्टूबर, 2014 को प्राप्त।
  • चालू खदानें: 32 संचालित खदानें (4 भूमिगत, 26 ओपनकास्ट एवं 2 मिश्रित)
  • प्रमुख परियोजनाएं: कोकिंग कोल।
  • कोकिंग कोल भंडार: 9 बिलियन टन (लगभग) (अनुमानित, इंगित एवं सिद्ध शामिल हैं)

हमारा लक्ष्य

सुरक्षा, संरक्षण एवं गुणवत्ता को सम्यक प्रतिष्ठा प्रदान करते हुए दक्षतापूर्वक और मितव्ययिता के साथ पर्यावरण के अनुकूल योजनाबद्ध परिमाण में कोयला एवं कोयला उत्पाद का उत्पादन एवं विपणन करना है।

हमारी संकल्पना

खदान से बाजार तक सर्वोत्तम प्रथाओं के माध्यम से पर्यावरण और सामाजिक रूप से टिकाऊ विकास को प्राप्त करते हुए देश को ऊर्जा सुरक्षा प्रदान करने की प्रतिबद्धता के साथ प्राथमिक ऊर्जा क्षेत्र में एक वैश्विक कंपनी के रूप में उभरना।

हमारी टीम

बड़े पैमाने पर खनन में व्यापक अनुभव रखने वाले उद्योग के दिग्गजों के नेतृत्व में, बीसीसीएल का नेतृत्व कंपनी के विकास, आधुनिकीकरण तथा मूल्य सृजन की ओर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारी टीम परियोजना प्रबंधन, रणनीतिक योजना तथा अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों के कार्यान्वयन में वर्षों की विशेषज्ञता के साथ कार्य कर रही है, जो बीसीसीएल को वर्ष 2030 तक 100 मिलियन टन कोकिंग कोल के उत्पादन लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में कोयला मंत्रालय की संकल्पना को लेकर चल रही है।

महत्वपूर्ण उपलब्धियां:

  • रिकॉर्ड उत्पादन: वित्त वर्ष 2023-24 में1 मिलियन टन का अब तक का सबसे अधिक कोयला उत्पादन।
  • पहला लाभांश:बीसीसीएल ने अपने इतिहास में पहली बार संचित घाटे को पाट दिया है और वित्त वर्ष 2023-24 के लिए ₹44.43 करोड़ के लाभांश की घोषणा की है।
  • संधारणीयता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धि:53 हेक्टेयर भूमि के जैविक पुनरुद्धारका कार्य सफलतापूर्वक पूरा किया गया और 34 लाख से अधिक पेड़ लगाए गए।

बीसीसीएल की ऐतिहासिक चुनौतियां

वर्तमान में, बीसीसीएल का 95% से अधिक कोयला उत्पादन झरिया कोलफील्ड (जेसीएफ) से होता है, यह एक ऐसा क्षेत्र है जो दुनिया के किसी भी अन्य कोलफील्ड के विपरीत निरंतर आग से जल रहा है। भूगर्भीय, ऐतिहासिक और मानवीय कारणों से झरिया कोलफील्ड्स बड़े पैमाने पर आग से प्रभावित हुआ और कोयला भंडार की प्रकृति तथा पूर्व में किये गए अवैज्ञानिक खनन पद्धतियों के कारण इसकी तीव्रता एवं निरंतरता दुनिया में हुई इस तरह की घटनाओं में सबसे अधिक है। झरिया कोलफील्ड की यह भयावह स्थिति इसकी विशिष्ट भूगर्भीय विशेषताओं तथा अवैध मानवीय हस्तक्षेप का संयुक्त परिणाम है।
जनसंख्या घनत्व के कारण झरिया कोलफील्ड में बड़े पैमाने पर संचालन कार्य को करना व्यावहारिक नहीं है। आग बुझाने के लिए अब तक जो भी प्रयास किए गए हैं और किए जा रहे हैं, वे केवल अलगअलग खंडों में ही किए जा रहे हैं इससे राहत मिलती है और हम आग को सफलतापूर्वक बुझाने में सक्षम हैं लेकिन अलग-अलग खंडों में।

हमारा संचालन

भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) झारखंड तथा पश्चिम बंगाल में ओपनकास्ट और भूमिगत खदानों के एक व्यापक समूह का प्रबंधन करता है, जिसमें झरिया कोलफील्ड पर विशेष ध्यान है। उन्नत खनन प्रथाओं और प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके, कंपनी न केवल अपने उत्पादन को अधिकतम करता है, बल्कि झरिया की आग को नियंत्रित करने, बुझाने और आसपास के समुदायों और पर्यावरण की रक्षा करने के लिए भी काम करती है। हमारा संचालन विभिन्न रणनीतिक परियोजनाओं में फैला हुआ है, जिनमें से प्रत्येक परियोजना के द्वारा अग्नि नियंत्रण के महत्वपूर्ण उपायों को करते हुए राष्ट्र के कोकिंग कोल के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बीसीसीएल के प्रयासों में योगदान दिया जाता है।

ओपनकास्ट और भूमिगत खनन परियोजनाएं

बीसीसीएल की खनन परियोजनाओं का मुख्य उद्देश्य कुशल कोयला निष्कर्षण और अग्नि नियंत्रण करना है:
  • अग्नि नियंत्रण के लिए ओपनकास्ट खनन: ओपनकास्ट खनन कोयले की आग को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि यह बीसीसीएल को सीधे जलने वाले कोयले को सीमों से निकालने और इसे अलग करने में सक्षम बनाता है। बीसीसीएल द्वारा आग से प्रभावित कोयले का उत्खनन कर और नियंत्रित उत्खनन को लागू करके,  ईंधन स्रोत को बचाया जाता है जो आग को और आगे फैलने से रोकता है। उच्च क्षमता वाले उन्नत एक्स्कवेटर और शॉवेल मशीनों के माध्यम से जलते हुए कोयले को शीघ्रता से निकाला जाता है, जिससे आग की तीव्रता एवं इसका फैलाव कम हो जाता है।
  • भूमिगत आग पर नियंत्रण: झरिया में भूमिगत खनन करना, स्वतःस्फूर्त दहन के जोखिमों तथा कोयला की सीमों में अत्यधिक गैसीयता के कारण विशिष्ट प्रकार की चुनौतियां से भरा रहता है। बीसीसीएल द्वारा उन्नत वेंटिलेशन सिस्टम का प्रयोग किया जाता है और ऑक्सीजन के फैलाव को रोकने तथा गैसीय सीमों में मीथेन के स्तर का प्रबंधन करने के लिए सीलिंग तकनीक को अपनाया जाता है। बीसीसीएल द्वारा वायु प्रवाह को नियंत्रित करके और परित्यक्त एवं अग्नि-प्रभावित खंडों को अलग करके भूमिगत आग के प्रसार को कम किया जाता है और आसपास की सुरक्षा को बढ़ाया जाता है।

कोयला वाशरियां

कोकिंग कोल की गुणवत्ता इस्पात उद्योग के लिए महत्वपूर्ण है, और बीसीसीएल उच्चतम मानकों को पूरा करने वाले कोयले की आपूर्ति करने के लिए प्रतिबद्ध है:
कोयला बेनिफिसिएशन एवं वॉशिंग: बीसीसीएल कच्चे कोयले की गुणवत्ता में सुधार, इसके कैलोरी मान को बढ़ाने और अशुद्धियों को कम करने के लिए कई कोयला वाशरियों को संचालित करता है। धुलाई प्रक्रिया के माध्यम से, राख और सल्फर जैसी अशुद्धियों को हटा दिया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप धातुकर्म अनुप्रयोगों के लिए उपयुक्त उच्च श्रेणी का कोयला प्राप्त होता है। हमारी वाशरियों द्वारा घनत्व वाले मिडलिंग (पत्थर युक्त कोयला) को अलग करने तथा फ्रॉथ फ्लोटेशन सहित उन्नत बेनिफिसिएशन तकनीकों का उपयोग किया जाता हैं, ताकि स्टील निर्माताओं की कठोर आवश्यकताओं अनुकूल कोकिंग कोल का उत्पादन किया जा सके।
इस्पात उद्योग के लिए उत्पादन का अनुकूलन: बीसीसीएल द्वारा अपनी वाशरियों में कच्चे कोयले को उन्नत करके, यह सुनिश्चित किया जाता है कि हमारा उत्पाद इस्पात निर्माण में उपयोग के लिए आदर्श है, ताकि बुनियादी ढांचे और औद्योगिक विकास के लिए महत्वपूर्ण संसाधन उपलब्ध हो सके। गुणवत्ता आश्वासन टीमें उद्योग विनिर्देशों के अनुकूल उच्च गुणवत्ता वाले कोयले की नियमित आपूर्ति की गारंटी के लिए बेनिफिसिएशन प्रक्रिया के हर चरण की सख्ती से निगरानी करती हैं।

एमडीओ संचालन

अपनी संचालन दक्षता को बढ़ाने, कोयला उत्पादन को अनुकूलित करने और विशिष्ट विशेषज्ञता को शामिल करने के लिए कंपनी ने खान डेवलपर एवं ऑपरेटरों (एमडीओ) के साथ साझेदारी की है:
संचालन उत्कृष्टता के लिए एमडीओ के साथ साझेदारी: बीसीसीएल विशिष्ट खनन परियोजनाओं का प्रबंधन करने, अतिरिक्त विशेषज्ञता, उन्नत प्रौद्योगिकी और नवीन प्रथाओं को अपनाने के लिए अनुभवी एमडीओ के साथ साझेदारी करता है। एमडीओ के साथ काम करने से बीसीसीएल को वैश्विक स्तर की सर्वोत्तम प्रथाओं और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों को अपनाने में मदद मिलेगी, जिससे उत्पादकता और स्थिरता दोनों में सुधार होगा। यह साझेदारी दृष्टिकोण बीसीसीएल को परियोजना की समय सीमा को अनुकूलित करने, उत्पादन दक्षता बढ़ाने और लागत प्रभावी संचालन सुनिश्चित करने में मदद करता है।

नई पहल:

बीसीसीएल द्वारा अपनी क्षमताओं का विस्तार करने, संधारणीयता बढ़ाने और कोयला एवं ऊर्जा क्षेत्रों की बढ़ती हुई मांगों को पूरा करने के लिए अभिनव व्यावसायिक पहलों को सक्रिय रूप से अपनाया जा रहा है। ये पहल विविधीकरण, तकनीकी उन्नति और जिम्मेदार संसाधन प्रबंधन के माध्यम से मूल्य प्रदान करने के लिए बीसीसीएल की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।

विविधता:

  • सौर ऊर्जा परियोजनाएं: बीसीसीएल द्वारा पुनर्स्थापित खदानों की भूमि और कंपनी की इमारतों की छतों पर सौर ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश किया जा रहा है।कंपनी का लक्ष्य नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करके, अपने कार्बन फुटप्रिंट, ऊर्जा लागत को कम करना और भारत के महत्वाकांक्षी नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों में योगदान करना है। मार्च, 2024 तक बीसीसीएल ने68 मेगावाट की रूफटॉप सौर ऊर्जा क्षमता और 45 मेगावाट की ग्राउंड माउंटेड सौर ऊर्जा क्षमता को स्थापित कर दिया है। इसके अलावा, बीसीसीएल ने 45 मेगावाट की ग्राउंड माउंटेड सौर ऊर्जा क्षमता की स्थापना के लिए स्थानों को चिह्नित करने का काम कर लिया है।
  • कोल बेड मीथेन: बीसीसीएल, कोल बेड मीथेन के निष्कर्षण के लिए प्रौद्योगिकियों की खोज कर रही है, ताकि खनन से पहले मीथेन को निकाला जा सके, जो अन्यथा पड़ी हुई है। यह पहल औद्योगिक अनुप्रयोगों के लिए रसायनों हेतु ऊर्जा और कच्चे माल का एक अतिरिक्त स्रोत उपलब्ध कराएगी। बीसीसीएल ने मुनीडीह खदानों के पास झरिया सीबीएम ब्लॉक-I नामक एक पायलट परियोजना शुरू की है।

विकास के अवसर:

आयात प्रतिस्थापन: आत्मनिर्भर भारत पहल में एक प्रमुख कंपनी के रूप में, बीसीसीएल आयातित कोकिंग कोयले के स्थान पर घरेलू उत्पादन का उपयोग करने के लिए काम कर रही है, जिससे विदेशी मुद्रा की बचत हो रही है।
पर्यावरणीय प्रतिबद्धता: संधारणीयता के प्रति बीसीसीएल की प्रतिबद्धता के एक पहल के रूप में, कंपनी ने बड़े पैमाने पर जैविक पुनरुद्धार का कार्य किया है तथा पुनरुद्धारित खनन क्षेत्रों में इको-पार्क विकसित किए हैं। बीसीसीएल का लक्ष्य वनरोपण तथा भूमि पुनर्स्थापन के लिए चल रहे प्रयासों के माध्यम से बंजर भूमि को हरित क्षेत्र में बदलना है।
कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर): बीसीसीएल उन समुदायों को वापस देने में विश्वास करता है जहां इसकी परियोजनाएं संचालित हैं। बीसीसीएल अपने व्यापक सीएसआर गतिविधियों के माध्यम से स्थानीय समुदायों के उत्थान के लिए स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, कौशल विकास एवं बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान केंद्रित करता है। स्मार्ट क्लासरूम, व्यावसायिक प्रशिक्षण तथा सामुदायिक स्वास्थ्य सेवाएं जैसी परियोजनाएं हमारी सीएसआर गतिविधियों के प्रमुख क्षेत्र हैं।

हमारे ध्येय (मिशन) में शामिल हों

बीसीसीएल में, हम राष्ट्र की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने और भारत के औद्योगिक भविष्य में योगदान देने के लिए निरंतर विकास कर रहे हैं। नवोन्मेष, सुरक्षा एवं संधारणीयता पर ध्यान केंद्रित करते हुए, हम हितधारकों, साझेदारों एवं समुदाय को समृद्ध और आत्मनिर्भर भारत की ओर इस यात्रा में शामिल होने के लिए आमंत्रित करते हैं।